O Mere Humsafar - 14 in Hindi Drama by NEELOMA books and stories PDF | ओ मेरे हमसफर - 14

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ओ मेरे हमसफर - 14

( गलती से कुणाल को भेजे गए एक मैसेज के बाद प्रिया रेस्टोरेंट पहुँचती है, जहाँ उसकी नज़र कुणाल और भानु पर पड़ती है। भानु मुस्कुराते हुए ताना मारती है—कहती है कि आदित्य और रिया की शादी करवाने के लिए ही कुणाल ने प्रिया से शादी की है, वह भी मजबूरी में। यह सुनकर प्रिया का दिल जैसे थम जाता है। उसकी निगाहें अब सिर्फ़ एक जवाब तलाश रही हैं—कुणाल की आँखों में। अब आगे)

जिद और जुनून

गलती से कुणाल को भेजे गए एक मैसेज के बाद प्रिया रेस्टोरेंट पहुंचती है, जहाँ उसकी नज़र कुणाल और भानु पर पड़ती है। भानु मुस्कुराते हुए ताना मारती है—"हाँ! और तू... बस इस खेल का एक मोहरा है।"

प्रिया सीधे कुणाल की आँखों में देखती है।

प्रिया (बहुत शांत लेकिन भीतर से टूटती हुई): "क्या आप मुझसे... प्यार करते हैं?"

कुणाल की चुप्पी सब कुछ बयां कर देती है।प्रिया की आँखों से आँसू बह निकलते हैं। वह अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करती है।

प्रिया: "मैं आपसे शादी नहीं करूंगी। कभी नहीं।"

प्रिया के हाथ छुड़ाने की कोशिश में कुणाल अपनी पकड़ और मजबूत कर देता है।

कुणाल ज़बरदस्ती प्रिया को कार में बैठा देता है।

कुणाल (सख्ती से): "तय हो चुकी है ये शादी। अब तुम चाहो या न चाहो—यह शादी होकर रहेगी।"

प्रिया हैरानी से कुणाल को देखती है, जैसे कोई अनजान चेहरा सामने हो।भानु (रोष में): "कुणाल! इसमें क्या रखा है? मुझसे ज़्यादा तुमसे कोई प्यार नहीं कर सकता। तुम सिर्फ मेरे हो!"

प्रिया चुपचाप कार की खिड़की से बाहर देखती है, जहाँ भानु की आँखों में तिलमिलाहट है।

कुणाल कार स्टार्ट करता है और रफ्तार से निकल जाता है।

...

कार में आगे

कुणाल: "मेरे और उस लड़की के बीच कुछ नहीं।"

प्रिया (बिना देखे): "अगर हो भी तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। तुम और मैं कभी नहीं।"

कुणाल (शांत लेकिन सख्त): "तुम अभी गुस्से में हो। शादी कोई मजाक नहीं। पूरे समाज के सामने हमने एक-दूसरे को अंगूठी पहनाई है।"

प्रिया ने अंगूठी निकालने के लिए हाथ बढ़ाया, लेकिन कुणाल ने उसका हाथ पकड़ लिया।

कुणाल: "सोचना भी मत।"

प्रिया (रोते हुए): "अगर प्यार नहीं है तो इस मंगनी का क्या मतलब?"

कुणाल कार एक सुनसान जगह पर रोकता है, और उसका रूप बदल जाता है। प्रिया के चेहरे को अपने हाथों में जोर से जकड़ता है।

कुणाल: "मंगनी, हल्दी, मेहंदी, शादी—सब होगा। किसी भी हालत में। अगर इसके लिए जरा भी ना-नुकुर हुई, तो याद रखना, तुम्हारे परिवार को इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।"

प्रिया खुद को छुड़ाती है "तुम पागल हो गए हो क्या? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है?"

कुणाल मुस्कुराता है  "बिगाड़ूंगा तो मैं, अगर तुमने इस रिश्ते को तोड़ने की कोशिश की तो।"

कार प्रिया के घर के बाहर खड़ी थी। वह कार से उतरने वाली थी, तभी कुणाल ने प्रिया की सगाई की अंगूठी पर अपनी अंगुली सहलाई। प्रिया ने अपना हाथ पीछे खींच लिया, जैसे उसका स्पर्श अब उसे चुभने लगा हो।

कुणाल: "याद रखना, मेरे पास पैसा, पावर और जिद—तीनों हैं। अगर ये रिश्ता टूटा तो…"

प्रिया बिना कुछ कहे घर की ओर बढ़ गई।

अंदर कुणाल सोचता है—"प्रिया ही वह जरिया है जिससे मैं अपनी माँ का प्यार पा सकता हूँ। और प्रिया से बढ़कर मुझे कोई नहीं चाहता।"

...

प्रिया जैसे ही घर में घुसी, सीधे वैभव के कमरे में चली गई।वैभव चेहरे पर मुस्कान लिए बैठा था—"पता है, अभी कुणाल का फोन आया था।"प्रिया घबराई हुई बोली, "क्यों?"

वैभव ने उत्साहित होकर बताया—"कुणाल ने हमारे डोगरा क्लॉथ्स कंपनी में 400 करोड़ रुपए का निवेश किया है। इससे हमारी कंपनी तेजी से बढ़ेगी और तुम्हारा भी, तुम्हारी बहनों का भी भविष्य उज्जवल होगा।"

प्रिया ने गंभीर स्वर में कहा, "पापा, इस तरह से उनसे पैसे लेना ठीक नहीं है।"

तभी कुणाल का फोन आया, और प्रिया ने झट से कॉल काट दी।वैभव ने मुस्कुराते हुए कहा, "अरे, उन्हें भी तो फायदा मिलेगा।"फिर वह कमरे से बाहर चला गया।

जैसे ही प्रिया बाहर निकली, उसका फोन बजा।लेकिन उसने कुणाल का नंबर देख काट दिया।तभी हॉल का फोन बजा। प्रिया आगे बढ़ी और रिसीवर उठाते ही बोली, "हैलो।"

फोन पर गुमसुम, सख्त आवाज़ आई—"तुम्हारे फैमिली बिजनेस पर अब मेरा हक होगा और जितने पैसे मैंने लगाए हैं कि उसके आधे तो तुम्हारे सारी सम्पत्ति की भी कीमत नहीं।तो याद रखना, तुम्हारी न और तुम्हारा परिवार सड़क में।"

प्रिया चुपचाप अपने कमरे की ओर बढ़ गई, जैसे हार मान चुकी हो।

लेकिन उसके मन में एक सवाल गूंज रहा था—अगर कुणाल मुझसे प्यार नहीं करता, तो फिर मुझसे शादी करने का इतना जुनून क्यों है?

प्रिया अपने कमरे में लेटी थी, मन भारी और सोचों में डूबी।वह समझ नहीं पा रही थी कि परिवार वालों को क्या बताए।कल तक जिसकी दुल्हन बनने की तड़प उसके दिल में थी, आज वही उसके घुटन का कारण बन गया था।

थोड़ी देर बाद वह किचन की तरफ बढ़ी। वहाँ रिया कुमुद के साथ खाना बनाना सीख रही थी।कुमुद ने मुस्कुराते हुए कहा, "आ गई, आ जा, तु भी सीख ले।"

प्रिया ने हल्की मुस्कान दी। तभी वैभव की आवाज़ किचन के बाहर से आई, जो कुमुद को बुला रहा था—"कुमुद, जरा यहां आना।"कुमुद ने जल्दी में कहा, "अभी आती हूँ," और बाहर निकल गई।

प्रिया ने रिया के पास जाकर धीमे स्वर में पूछा—"क्या तुम सच में जीजू से प्यार करती हो?"

रिया ने झूठी मुस्कान के साथ जवाब दिया—"जितना तू कुणाल से करती है, उससे कहीं ज्यादा।"

दोनों ने एक-दूसरे को झूठी मुस्कान दी।प्रिया फिर चुपचाप किचन से बाहर निकलकर अपने कमरे की ओर बढ़ गई।

मन में बार-बार वही ख्याल घूम रहा था—शायद कुणाल सही कह रहा है। यह शादी वह रिया और आदित्य की खुशी के लिए कर रहा है। मुझे उसका साथ देना चाहिए।

सुबह होते ही प्रिया ने कुणाल को मैसेज किया—"मिलना है तुमसे।"

कुछ ही देर में जवाब आया—"तुम्हारे घर के बाहर वाले पार्क में हूँ, आ जाओ।"

प्रिया दौड़ती हुई पार्क पहुंची। वहाँ कुणाल आराम से बेंच पर बैठा था।

प्रिया हैरानी से बोली—"तुम यहाँ सुबह-सुबह?"

कुणाल बिना देखे बोला—"तुम पर नजर रख रहा हूँ, कहीं तुम मुझे छोड़कर भाग न जाओ।"

प्रिया उसके बगल में बैठ गई।"अगर यह शादी रिया दी और आदित्य जीजू की शादी के लिए है, तो..."

कुणाल ने कहा—"आगे बोलो।"

प्रिया ने गहरी सांस ली—"तो क्यों न उनकी शादी होते ही हम कोई बहाना बनाकर अपना रिश्ता तोड़ दें? फिर तुम अपने रास्ते और मैं अपने।"

कुणाल उठकर एक्सरसाइज करने लगा—"लगता है तुमने ठीक से नहीं सुना। हमारी शादी होकर रहेगी, चाहे तुम कुछ भी कहो।"

प्रिया ने हैरानी से पूछा—"जब तुम मुझसे प्यार नहीं करते, तो..."

कुणाल ने गहरी सांस ली—"तुम तो मुझसे प्यार करती हो। तुम प्यार करो, मैं शादी करूंगा।"

प्रिया जैसे हार मान गई—"यह कैसी जिद है?"

कुणाल हंसते हुए बोला—"जिद नहीं, जुनून है तुम मेरा। चलो, साथ में एक्सरसाइज करते हैं।"

उसने हाथ बढ़ाया, पर प्रिया चुपचाप वापस चल दी।

1. कुणाल का प्यार सच में प्रिया के लिए है या यह शादी सिर्फ मजबूरी है?

2. क्या प्रिया कुणाल के इस जिद्दीपन को समझ पाएगी या टूट जाएगी?

3. क्या रिया और आदित्य की शादी होगी या कुछ नया मोड़ आएगा?

आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए "ओ मेरे हमसफ़र"।