(प्रिया को भानु से पता चलता है कि कुणाल उससे मजबूरी में शादी कर रहा है। टूटकर वह कुणाल से प्यार का सच पूछती है, पर उसकी चुप्पी दिल तोड़ देती है। कुणाल जिद करता है कि शादी हर हाल में होगी। घर में रिया से हल्की-फुल्की बातें होती हैं, पर प्रिया मन ही मन शादी रोकने का सोचती है। आदित्य और कुणाल पूजा के लिए दोनों बहनों को ले जाते हैं। पूजा में पंडित के मना करने पर रिया-प्रिया बस प्रार्थना करती हैं। तभी टोनी प्रिया से बदतमीज़ी करता है और इशारे देता है कि वह कुणाल से उसे छीन लेगा, जबकि कुणाल इन बातों से अनजान है। अब आगे)
प्रिया मेरी है
रिया को आदित्य के साथ छोड़कर प्रिया अकेले बरामदे में चली गई। ठंडी हवा के बीच वह खुद को बेहद अकेला महसूस कर रही थी। नज़र सामने पड़ी—टोनी अपने दोस्तों के साथ ड्रिंक कर रहा था। उसके चेहरे पर वही घिनौनी मुस्कान थी।
प्रिया वापस अंदर मुड़ी तो गलियारे में कुणाल से टकरा गई।
कुणाल ने हल्के से कहा, "किसी बात का बुरा मत मानो, धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।"
प्रिया ने उसे गुस्से से घूरा—उसे लगा कि वह टोनी की बदतमीज़ी की बात कर रहा है, लेकिन कुणाल तो ललिता के इग्नोर करने की बात पर इशारा कर रहा था।
प्रिया ने व्यंग्य में कहा, "देखो, तुम्हारा ट्रू लव आ रही है।" और आगे बढ़ गई।
कुणाल ने हैरानी से पलटकर देखा—सामने भानु आ रही थी। उसका चेहरा सख्त हो गया, और वह दूसरी दिशा में मुड़ गया।
थोड़ी देर बाद, प्रिया बाहर खड़ी थी। तभी एक वेटर पास आया, "मैडम, आपको अंदर कुणाल सर बुला रहे हैं।"
प्रिया हैरानी से वहां बढ़ी, तभी किसी ने उसका हाथ थाम लिया।
"कब तक नाराज़ रहोगी मुझसे?"
वह चौंकी—"कुणाल? तुम यहां? तो मुझे वहां क्यों बुला रहे थे?"
कुणाल ने माथे पर शिकन डालते हुए कहा, "मैंने तो तुम्हें कहीं नहीं बुलाया।"
दोनों जल्दी-जल्दी उस जगह पहुंचे… पर वहां कोई नहीं था।
कुणाल ने रिया को देखा और प्रिया का हाथ उसकी ओर बढ़ा दिया।
"भाभी, इसके साथ रहना।"
दूर कोने में टोनी खड़ा था, नज़रें दोनों पर गड़ाए। प्रिया वेटर को ढूंढने लगी, पर वह गायब था।
रिया ने चिंतित होकर पूछा, "सब ठीक है न?"
सारे मेहमान जा चुके थे। प्रिया ने कहा, "चलो, दी… हम भी घर चलते हैं।"
रिया झिझकी, "पर कुणाल—"
"उसे फोन कर देंगे," प्रिया ने कहा।
तभी आदित्य ट्रे लेकर आया, "लो, जाने से पहले कुछ पी लो।"
तीनों ने ड्रिंक उठाई और सोफे पर बैठ गए। प्रिया को अच्छा लगा कि शायद कुणाल को उसकी परवाह है… लेकिन अचानक उसका सिर भारी होने लगा। उसकी नज़र धुंधली हो गई—आदित्य और रिया बेहोश पड़े थे।
प्रिया ने भरसक कोशिश की, "कुना—" बस, आवाज़ उसके होंठों में ही अटक गई, और सब अंधेरा हो गया।
जब होश आया तो वह एक अंधेरे कमरे में थी—हाथ-पाँव बंधे हुए।
दरवाज़ा खुला—अंदर टोनी था।
वह हंसते हुए बोला, "सोचा था बेहोशी में ही… पर मैं चाहता था कि तुम मेरी एक छुअन याद रखो।"
प्रिया ने दहाड़ते हुए कहा, "खबरदार! मुझे हाथ लगाया तो—"
टोनी उसके करीब आकर बोला, "तो क्या लगता है कि मैं यहां क्यों लाया हूं?" और उसे चूमने की कोशिश की।
अचानक पीछे से किसी ने उसे जोर से खींचा—कुणाल था।
उसने टोनी को जोरदार मुक्का मारा, "मेरी प्रिया पर कोई नज़र भी उठाए, यह मैं बर्दाश्त नहीं करूंगा!"
टोनी गुर्राया, "तेरी नहीं, मेरी बनेगी ये!"
कुणाल ने आंखों में आग भरकर कहा, "प्रिया सिर्फ और सिर्फ मेरी है। उसके बारे में सोचा भी तो जिंदा नहीं बचेगा तू!"
तभी आदित्य आ गया, "तुम प्रिया को देखो, मैं इसे देखता हूं।"
आदित्य टोनी को घसीटकर बाहर ले गया।
कुणाल ने प्रिया को खोला। वह चुपचाप उसे देख रही थी।
वह उसे गले लगाकर बोला, "बहुत बड़ी गलती कर दी तुमने—मेरे दिल में अपने लिए प्यार जगा दिया। अब चाहो तो भी मुझसे दूर नहीं जा सकती। तुम सिर्फ मेरी हो।"
प्रिया ने कांपते स्वर में पूछा, "क्या… तुम मुझसे…"
"प्यार करता हूं—जुनून की हद तक," कुणाल ने कहा।
प्रिया उसकी बाहों में समा गई, "मैं तुमसे कभी दूर नहीं जाऊंगी।"
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उधर, एक कमरे में टोनी को जोर से धक्का देकर गिराया गया। सामने ललिता, आदित्य और भानु थे।
आदित्य ने गुस्से से कहा, "एक काम… एक काम भी सही से नहीं कर सका!"
भानु ने चौककर पूछा, "मतलब?"
"मतलब कि… बच गई प्रिया!" आदित्य ने चिल्लाकर कहा।
टोनी बड़बड़ाया, "वहां कुणाल आ गया तो मैं क्या करता?"
ललिता ठंडी आवाज़ में बोली, "कुछ भी करो, लेकिन प्रिया मेरे घर की बहू नहीं बननी चाहिए। कुछ ऐसा करो कि वह खुद शादी से मना कर दे।"
टोनी ने होंठ दबाए, "बनेगी तो मेरी ही… लेकिन कैसे?"
भानु ने दहाड़ा, "कुछ भी कर—मुझे मेरा कुणाल चाहिए!"
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1. क्या ललिता और टोनी की नई चाल सच में प्रिया को कुणाल से दूर कर पाएगी, या उनका खेल उसी पर उल्टा पड़ जाएगा?
2. टोनी का “बनेगी तो मेरी ही” वाला इरादा… क्या यह सिर्फ जुनून है या इसके पीछे कोई और काला सच भी है?
3. क्या प्रिया, कुणाल के प्यार के इज़हार पर सच में भरोसा कर पाएगी, या यह भी किसी बड़ी चाल का हिस्सा है?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "ओ मेरे हमसफ़र"