(कुणाल ऑफिस मीटिंग को लेकर अपने असिस्टेंट पर गुस्सा करता है और अपने कठोर स्वभाव का परिचय देता है। वहीं डोगरा हाउस में रिया के स्वागत के बीच बिन्नी आंटी अचानक आ जाती हैं। कुमुद उनसे नाराज़ होती हैं क्योंकि उन्होंने पहले प्रिया की शारीरिक कमजोरी छुपाकर रिश्ता तय कराया था। रिया समझदारी से मामला संभालती है और बिन्नी को माफ करने के लिए चाची को मनाती है। प्रिया यह सब सुनकर खुद को बोझ समझने लगती है, पर अंत में वह परिपक्वता से बात करती है और बिन्नी को दिलासा देती है। कहानी रिश्तों, स्वाभिमान और संवेदना को खूबसूरती से दर्शाती है। अब आगे)
शाम का दृश्य – डोगरा हाउस
फोन की घंटी बजी। पास से गुजरती कुमुद ने झट से रिसीवर उठाया, "हैलो?"
कुछ पल बाद उसके चेहरे पर मुस्कान खिल उठी, "अरे वाह, यह तो बहुत अच्छी खबर है। मृणालिनी की शादी की तारीख तय हो गई? ज़रूर आएंगे... और रिया को भी साथ लाऊंगी।"
फोन रखते हुए उसकी नजर टेबल पर रखी प्रिया की तस्वीर पर पड़ी। वह कुछ पल के लिए सोच में डूब गई।
अचानक अंदर से एक आवाज़ आई, "मैडम! सब्ज़ी में क्या-क्या लाना है?"
कुमुद चौंकी और बोली, "आती हूँ," फिर रसोई की ओर बढ़ गई।
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खन्ना हाउस – हल्दी की हलचल
पूरी हवेली किसी दुल्हन की तरह सजी थी। हर कोने में चहल-पहल, हंसी-ठिठोली, लोकगीतों की मधुर ध्वनि और तैयारियों की भागदौड़।
मृणालिनी की हल्दी रस्म की तैयारी हो रही थी। प्रिया उसके साथ हर पल मौजूद थी।
"रिया दीदी को साथ क्यों नहीं लाईं?" मृणालिनी ने पूछा।
प्रिया ने आंखें घुमाकर जवाब दिया, "तू जानती है ना उसे। पढ़ाई के सिवा कुछ नहीं सूझता। अपनी या मेरी शादी में भी हिस्सा लेगी, इसमें शक है।"
दोनों जोर से हंस पड़ीं।
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डोगरा हाउस – पति-पत्नी की मीठी नोकझोंक
कुमुद को सजा-धजा देख वैभव मुस्कुरा उठा, "तुम तो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही हो।"
कुमुद ने झेंपते हुए कहा, "कुछ तो शर्म कीजिए। कोई सुन लेगा।"
"तो सोचेगा, कितनी खुशकिस्मत है ये कुमुद," वैभव ने छेड़ा।
कुमुद मुस्कुराई, "आपको तो बस मुझे चिढ़ाना आता है।"
वैभव ने उसका हाथ थामकर कहा, "बस बेटियों की शादी हो जाए, फिर हम दोनों कहीं घूमने चलेंगे..."
कुमुद ने आंखें दिखाईं, "ठीक है, मैं हार गई, आप जीत गए।"
"और मैं बहुत खुश हूँ!" वैभव ठहाका लगाकर हंसा।
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रिया की तैयारी और शर्त की जीत
काफी देर तक रिया नीचे नहीं आई तो कुमुद उसे देखने गई। रिया पढ़ाई में डूबी हुई थी।
गुस्से में कुमुद बोली, "अभी तक तैयार नहीं हुई?"
रिया सकपका गई, "बस दस मिनट में आती हूँ, चाची।"
कुमुद ने मुस्कुराकर वैभव की ओर देखा और हाथ बढ़ाया, "शर्त मैं जीत गई – पूरे पंद्रह हजार!"
वैभव ने चुपचाप पैसे थमा दिए।
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खन्ना हाउस – पहली मुलाकात और पहली छाप
रिया पीली साड़ी में किसी अप्सरा-सी लग रही थी। सब खन्ना हाउस पहुंचे।
रिया जैसे ही दुल्हन के कमरे की ओर बढ़ी, एक 26-27 साल के युवक से टकरा गई। गिरने ही वाली थी कि उस युवक ने उसे थाम लिया।
"थैंक्यू," कहकर रिया फौरन चली गई।
पीछे से आवाज आई, "आदित्य!" वह मुड़ गया और किसी महिला की ओर बढ़ गया।
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रिया पर टिकी नज़रें – ललिता राठौड़ की रुचि
प्रिया नीचे रंगोली बना रही थी। रिया उसकी तारीफ करती है। दूर से आदित्य उन्हें देखकर मुस्कुरा रहा था।
तभी उसकी मां ललिता राठौड़ भी रिया को देखती है और उसके पास जाकर पूछती है,
"बेटा, दो मिनट बात कर सकते हैं?"
रिया थोड़ा घबरा गई, "माफ कीजिए आंटी, मैंने पहचाना नहीं।"
"मैं ललिता राठौड़ हूं..."
तभी कुमुद की आवाज आई, "रिया, प्रिया! आओ, अपने दोस्तों से मिलवाती हूं।"
रिया झट से चली गई।
ललिता ने उसकी एक तस्वीर खींची और कुमुद के पास जाकर औपचारिक मुस्कान के साथ बोली,
"हैलो मिसेज डोगरा, कैसी हैं आप? ये दोनों आपकी बेटियां हैं?"
कुमुद ने हँसते हुए हामी भरी।
"कहां तक पढ़ाई की है?"
"बीए किया है," रिया ने विनम्रता से जवाब दिया।
तभी रस्म शुरू होने का बुलावा आया और सब आगे बढ़ गए।
1. क्या ललिता राठौड़ की नजर रिया पर केवल उसकी सुंदरता के लिए है, या इसके पीछे कोई पुरानी साज़िश छुपी है?
2. क्यों कुमुद बिन्नी आंटी और अब ललिता से सतर्क रहती हैं — क्या प्रिया और रिया के अतीत से जुड़ा कोई बड़ा रहस्य है जो अब सामने आने वाला है?
3. आदित्य की रिया में रुचि क्या सिर्फ पहली नजर का आकर्षण है या वो राठौड़ परिवार की किसी योजना का हिस्सा है जिसमें डोगरा हाउस को मोहरा बनाया जा रहा है?