माही आज पहले दिन जब ऑफिस पहुँची तो सबसे पहले उसकी मुलाकात उस लड़के से हुई जिसकी तस्वीर कुछ दिन पहले ही उसके घर आई थी। उनके रिश्ते की बातें भी दोनों के माता-पिता के बीच चल रही थीं। अचानक रीतेश को अपने सामने देखकर माही दंग रह गई। उसके दिमाग़ ने तुरंत ही यादों के बक्से से वह तस्वीर निकाल कर माही को दिखा दी कि यही तो है वह जिससे तेरी शादी की बात चल रही है। रीतेश भी माही को देखकर एकदम से आश्चर्यचकित हो गया। उसने भी उस तस्वीर को याद कर लिया जिसे देखकर उसने अपनी मम्मी से कहा था, "मम्मी तस्वीर में तो लड़की बहुत अच्छी लग रही है। हम उसे देखने कब चलेंगे?" तब उसकी मम्मी शोभा ने कहा था, "रीतेश, अभी हम लोग उसके परिवार वालों से बात कर रहे हैं। एक बार सब तय हो जाए तो लड़की देखने भी चलेंगे।"
गुनाहों की सजा - भाग 1
माही आज पहले दिन जब ऑफिस पहुँची तो सबसे पहले उसकी मुलाकात उस लड़के से हुई जिसकी तस्वीर कुछ पहले ही उसके घर आई थी। उनके रिश्ते की बातें भी दोनों के माता-पिता के बीच चल रही थीं। अचानक रीतेश को अपने सामने देखकर माही दंग रह गई। उसके दिमाग़ ने तुरंत ही यादों के बक्से से वह तस्वीर निकाल कर माही को दिखा दी कि यही तो है वह जिससे तेरी शादी की बात चल रही है। रीतेश भी माही को देखकर एकदम से आश्चर्यचकित हो गया। उसने भी उस तस्वीर को याद कर लिया जिसे देखकर उसने ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 2
अगले दिन ऑफिस पहुँचने के बाद रीतेश ने माही से कहा, "मेरी मम्मी कह रही थीं कि कल हम माही के घर चलेंगे। वह आज शाम को तुम्हारी मम्मी से बात करने वाली हैं। तुम्हें मिलने के बाद, मेरी मम्मी मेरी तरफ़ बार-बार देखेंगी और इशारे ही इशारे में पूछेंगी कि क्या तुम्हें लड़की पसंद है?" "फिर आप क्या कहेंगे रीतेश?" "वही जो मैंने तुम्हारी तस्वीर देखते ही कह दिया था।" अब तो रीतेश और माही दोनों ही चाहते थे कि सब कुछ अच्छी तरह से तय हो जाए और वे जल्दी ही जीवनसाथी बन जाएँ। भगवान ने भी ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 3
माही के मुँह से "कोशिश करुँगी" यह शब्द सुनकर शोभा ने बौखलाते हुए कहा, "कोशिश करुँगी ... अरे तू क्यों कह रही है? क्या तुमने अपने घर में कभी काम नहीं किया?" माही ने शांत स्वर में कहा, "नहीं माँ, ज़्यादा तो नहीं किया। वहाँ तो हमारे घर में काम करने वाली बाई थी। ज़्यादातर काम तो वही कर देती थी। मेरी मम्मी रसोई का काम संभाल लेती थीं और हम लोग पढ़ाई में ही व्यस्त रहते थे।" शोभा ने कहा, "यह तो तुम्हारी माँ ने बहुत ग़लत किया है। यदि उन्होंने नहीं सिखाया है तो अब सीख लो। ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 4
अपनी सासू माँ के इस तरह के कटु वचन सुनकर आँखों में आंसू लिए माही ने रीतेश की तरफ़ तो उसने नज़र फेर ली। नताशा भी गुस्से में उठकर खड़ी हो गई और कहा, "मम्मी, मुझे नहीं करना नाश्ता, मुझे कॉलेज के लिए देर हो रही है। भाभी से कह दो कल से जल्दी नाश्ता तैयार करें।" विनय ने माही को घूरते हुए कहा, "अब जल्दी नताशा से माफ़ी मांगो वरना वह सच में भूखी ही चली जाएगी।" माही ने बिना कुछ कहे, बिना देर लगाए कहा, "नताशा, सॉरी, मैं कल से और जल्दी उठ जाऊंगी। प्लीज, तुम बिना ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 5
रीतेश अपनी माँ की हर बात मानता था और उन्हीं के कहने से उसने माही पर हाथ उठाया था। इस जीत से खुश होकर शोभा ने मुस्कुरा कर माही की तरफ़ देखकर कहा, "कल से सुबह सात बजे तक टिफिन और नाश्ता सब तैयार हो जाना चाहिए।" माही का मन कर रहा था कि इसी वक़्त वह अपना सूटकेस लेकर वहाँ से निकल जाए, परंतु उसने ऐसा नहीं किया। उसने सोचा एक बार उसे और कोशिश करनी चाहिए, यह शादी कोई मज़ाक नहीं है। वह सोच रही थी कि उसे भी तो ऑफिस जाना है। सिर्फ़ एक हफ्ते की ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 6
माही के मुँह से तलाक की बात सुनते ही रीतेश बौखला गया और आवेश में आकर उसने कहा, "अरे रे माही, तलाक कौन चाहता है। तुझे तलाक दे दूंगा तो मेरी माँ को सुख कैसे मिलेगा? इस घर का कामकाज कौन करेगा बोल...? तेरा घर देखने के बाद माँ ने मुझसे दो ही बातें कही थीं। पहली यह कि लड़की का घर तो बहुत ही बड़ा है, जगह भी अच्छी है। काश यह हमें मिल जाए और दूसरी जो वह हमेशा से चाहती रही हैं कि बहू ले आ तो कामकाज से उनका पीछा छूटे। हमारी केवल दो ही ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 7
PART 7माही को डराते हुए रीतेश ने आगे कहा, "मायके वालों की धमकी तो तू देना ही मत क्योंकि ट्रक वाला अभी भी मेरा वफादार है। तू और तेरा भाई घर से बाहर निकलते ही हो ना। अरे हाँ, वह 5 साल का तेरा भतीजा भी तो घर से बाहर खेलने कूदने के लिए निकलता ही होगा? आजकल शहर में ट्रैफिक भी बहुत बढ़ गया है, किसी भी दिन कुछ हो सकता है।" रीतेश के खतरनाक इरादे जानकर माही रो रही थी। रोते हुए उसने कहा, "तुम ऐसा सब मेरे साथ क्यों कर रहे हो? आखिर मैंने तुम्हारा क्या ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 8
रीतेश के मुँह से कर्त्तव्य वाली बात सुनकर माही ने कहा, "आपने मुझसे शादी की है तो कुछ कर्त्तव्य आपका भी मेरे प्रति बनता है।" रीतेश ने झुंझलाते हुए कहा, "माही, तू मुझे हर रात अपमानित करेगी तो क्या मैं तेरी आरती उतारूंगा? अरे, अपमान का बदला अपमान। तू मुझे हर रात खुश रख ताकि मुझे जबरदस्ती करना ही न पड़े, और फिर अब तक भी तूने मकान की बात तो अपने पापा से की नहीं। लगता है, तेरे भाई का प्यार ही तुझे रोक रहा है। उसका ही कुछ करना पड़ेगा। एक बार वह मकान दिलवा दे, बस ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 9
शोभा और रीतेश की बातें सुनकर माही समझ गई कि यदि जल्दी ही उसने मकान इन लोगों को नहीं तो वे उसे या उसके भाई किसी को भी ख़त्म करवा देंगे। आज रीतेश का लालच और हैवानियत देखकर माही ने अपने आपको एक नए युद्ध के लिए तैयार करने का मन बना लिया। वह इस ज़माने की पढ़ी-लिखी बहादुर लड़की थी। उसने भी कमर कस ली थी कि वह उनके इरादों को चकनाचूर कर देगी। लेकिन कैसे...? यह विचार उलझे हुए धागे की तरह गुत्थी बनकर उसके दिमाग़ में घूम रहा था। वह कई तरह से सोचती, पर फिर ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 10
नताशा ने जब उस लड़के को देखा, तो वह उसे देखती ही रह गई। वह बिना पलकें झपके उसे ही जा रही थी। उस लड़के ने नताशा को परेशान देखा, तो बाइक रोक ली। बाइक से उतरकर उसने कहा, "लाइए, मैं स्टार्ट करने की कोशिश करता हूँ।" नताशा "थैंक यू" कहते हुए स्कूटर के पास से हट गई। उसने कहा, "मैंने बहुत कोशिश की, पर यह स्टार्ट ही नहीं हो रहा है। आप देखिए, शायद आपसे हो जाए।" उस लड़के ने स्कूटर को स्टार्ट करने के लिए किक मारना शुरू किया। किक मारते समय अचानक उसकी निगाह नताशा पर ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 11
वरुण ने आकर सबसे पहले नताशा से कहा, "सॉरी यार, मैं लेट हो गया हूँ। तुम्हें काफी देर खड़े मेरा इंतज़ार करना पड़ा।" नताशा ने मुस्कुराकर कहा, "कोई बात नहीं वरुण, तुम आ गए, यही बहुत है।" उसके बाद दोनों बाइक से एक होटल पहुँच गए। यहाँ उन्होंने कुछ समय साथ में बिताया। वे दोनों एक-दूसरे के विषय में जानने की कोशिश कर रहे थे। इसी बीच उन्होंने कॉफी भी पी। कुछ देर बाद नताशा ने कहा, "वरुण, बहुत देर हो गई है, अब मुझे घर जाना होगा, वहाँ सब इंतज़ार कर रहे होंगे।" "हाँ, तो ठीक है, चलो, ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 12
नताशा ने कहा, "दरअसल, वरुण, हमारे बीच सब कुछ इतनी जल्दी हो जाएगा, ऐसा तो मैंने भी कभी नहीं था।" वरुण ने कहा, "अरे, नताशा, मैंने भी ऐसा कभी नहीं सोचा था, परंतु तुम में पता नहीं कैसा आकर्षण है, जो लगातार मुझे तुम्हारी तरफ़ खींचता ही चला जा रहा है। इससे पहले किसी को भी देखकर मुझे ऐसा कभी नहीं लगा था।" नताशा ने वरुण का हाथ पकड़कर कहा, "वरुण, मेरा भी पहला प्यार तुम ही हो। मैंने भी इससे पहले कभी किसी के लिए यह महसूस नहीं किया था। शायद भगवान ने पहले से ही हमारी जोड़ी ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 13
वरुण को देखते ही सभी के चेहरों पर ख़ुशी दिखाई दे रही थी क्योंकि सभी को लग रहा था वरुण बिल्कुल नताशा की टक्कर का है। दोनों की जोड़ी बहुत अच्छी लगेगी। इसी बीच नताशा ने एक-एक करके सबसे वरुण का परिचय करवाया, "वरुण, यह मेरे पापा-मम्मी हैं और यह हैं मेरे बड़े भैया रीतेश और यह मेरी भाभी माही।" वरुण ने नताशा के पापा-मम्मी के पाँव छुए, फिर रीतेश और माही से नमस्ते किया। इसके बाद सब बैठकर बातचीत करने लगे। वरुण से उसके माता-पिता के विषय में किसी ने कुछ नहीं पूछा क्योंकि नताशा ने पहले ही ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 14
वरुण के जाने की बात सुनकर नताशा ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "चलो ना वरुण, कुछ देर साथ घूमकर आते हैं, उसके बाद चले जाना।" "ठीक है," कहते हुए वरुण ने सबसे नमस्ते कहा और नताशा का हाथ पकड़कर बाहर चला गया। विनय ने शोभा से कहा, "मुझे तो लड़का बहुत पसंद आया। लंदन में रहता है, उसके व्यवहार से ऐसा पता ही नहीं चलता। हमारी नताशा हमेशा खुश रहेगी।" शोभा ने कहा, "विनय, तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो। हमारी बेटी राज करेगी क्योंकि ना कोई रोकने वाला, ना टोकने वाला। मुझे तो इसी बात की खुशी ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 15
अपनी ससुराल पहुँचकर माही ने रीतेश को वहाँ का पूरा किस्सा सुनाते हुए कहा कि उसने अपने पापा से कर ली है और उन्हें मना भी लिया है। माही के मुँह से यह सुनते ही रीतेश के लालची मन में ख़ुशी के पटाखे फूटने लगे। उसने बड़े ही प्यार से माही को अपनी बाँहों में भरते हुए कहा, "वेरी गुड माही, तुम्हारी मेरे दिल की रानी बनने की शुरुआत आज से ही हो गई है। बस कागजात ले आओ, फिर देखना तुम्हारी ज़िन्दगी ही बदल जाएगी।" रीतेश की बात सुनकर माही के दिल में उसके लिए पनपी हुई नफ़रत ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 16
नताशा ने वरुण से ऐसा कह तो दिया लेकिन वह बात बताने में झिझक रही थी। तब वरुण ने "क्या बात है नताशा, यदि तुम नहीं बताना चाहतीं तो कोई बात नहीं।" नताशा ने कहा, "नहीं-नहीं वरुण, ऐसी तो कोई बात नहीं है, वह मेरी भाभी माही हैं ना ..." वरुण ने पूछा, "हाँ-हाँ भाभी का क्या ...? उनका कहीं अफेयर चल ..." "अरे, यह तुम क्या कह रहे हो?" "फिर क्या बात है नताशा?" "अरे, भाभी के मायके में उनके पापा का बहुत बड़ा मकान है। 8-10 कमरे हैं, ख़ूब बड़ा आँगन है। वैसे घर तो पुराना है ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 17
नताशा हैरान थी, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। उसने वरुण की तरफ़ देखते हुए "तुम मज़ाक कर रहे हो ना वरुण...? यह अचानक तुम्हें क्या हो गया है?" तभी वरुण ने कहा, "मेरा बचपन का दोस्त तेजस यहाँ पुलिस डिपार्टमेंट में नौकरी कर रहा है। वह आईजी की रैंक का आदमी है। मुझे सिर्फ़ यह रिकॉर्डिंग उस तक पहुँचानी पड़ेगी। बस उतना ही काफ़ी होगा। हो सकता है फिर तुम्हारी भाभी माही और उसका परिवार भी तुम्हारे भाई रीतेश के खिलाफ गवाही दे दें। नताशा, तुम तलाक के विषय में मत सोचना वरना...!" नताशा ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 18
नताशा की बात सुनकर वरुण ने मुस्कुरा कर व्यंग्य भरे लहजे में कहा, "लेकिन अब तो तुमने शादी कर है। अब उसका शोक मनाने से कोई फायदा नहीं है। तुम्हें मुझे जितना कोसना हो, कोसती रहो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। नताशा, तुम यदि अपने परिवार से इतना ही प्यार करती हो, तो उन्हें जेल जाने से बचा लो। सिर्फ़ मकान ही तो हाथ से जाएगा, पर यदि इज़्ज़त चली गई, तो बड़ी बदनामी हो जाएगी। तुम्हारे भैया से कहना मेहनत करके ख़ुद कमा लें। मेरा क्या, मैं तो अकेला मस्त मौला हूँ। वैसे भी मैं ज़्यादा कुछ कहाँ ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 19
फाइल देखते ही शोभा का चेहरा कमल के फूल की तरह खिल गया। उसने कहा, "अरे माही, तू आ बहुत अच्छे समय पर आई है। मैंने अभी-अभी चाय बनाई है, रसोई में जाकर ले-ले और खाने की तैयारी शुरू कर।" माही को देखते ही वरुण तुरंत उठकर खड़ा हो गया और उसने कहा, "अरे भाभी जी, आप आ गईं, चलो अच्छा हुआ, अब तो आपके हाथों का स्वादिष्ट खाना मिलेगा।" माही ने कहा, "हाँ, मैं तुरंत ही रसोई में जाती हूँ।" "अरे नहीं भाभी जी, ऐसी भी कोई जल्दी नहीं है। बैठिए थोड़ी देर, हम लोगों के साथ, फिर ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 20
अपनी माँ को रोता देख नताशा भी रोने लगी। उसने रोते हुए कहा, "मुझे नहीं मालूम था कि वरुण इंसान निकलेगा। मेरी तो इसने ज़िंदगी ही बर्बाद कर दी।" रीतेश भारी मन से पेन उठा कर उस फाइल पर दस्तखत करने लगा। इस समय उसका चेहरा गुस्से में लाल हो रहा था। यदि वरुण पुलिस वाली बात न कहता, तब तो यहाँ के हालात को संभालना मुश्किल हो जाता। जिस प्रॉपर्टी के लिए उसने इतने पापड़ बेले थे, वह प्रॉपर्टी आज उसके हाथ में आते ही छूट रही थी। तब तक दोबारा बेल बजी और बेल बजते ही रीतेश ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 21
इतने में माही आई और आकर वरुण से पूछा, "वरुण भैया, काम हो गया ना?" "हाँ मेरी बहन, काम गया है।" माही ने रीतेश के पास जाकर कहा, "क्या सोचा था तुमने, मेरे पापा की खून-पसीने की कमाई दौलत को तुम यूं ही मुफ्त में लूट कर ले जाओगे? यह तुम्हारी भूल थी, रीतेश साहब।" रीतेश की आंखों में खून उतर आया था। उसने माही पर हाथ उठाते हुए कहा, "तो यह तेरी चाल थी। मैं तुझे ज़िंदा नहीं छोड़ूंगा।" तब तक तेजस ने वहाँ आकर रीतेश का हाथ पकड़ लिया और कहा, "डोमेस्टिक वायलेंस का एक और केस ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 22
नताशा अपने प्रश्न के उत्तर के इंतज़ार में अब भी वरुण की आँखों में देख रही थी। वरुण ने की खूबसूरत आँखों की गहराई में डूबते हुए कहा, "नताशा, मैं वैसा इंसान नहीं हूँ। तुम्हारी ही तरह मैंने भी तुम्हें सच्चे दिल से प्यार किया है। तुम मेरी पत्नी हो, मैंने अग्नि को साक्षी मानकर तुम्हारे साथ गठबंधन किया है। मैं इस रिश्ते की गरिमा को जानता हूँ। लंदन में रहकर भी मेरे परिवार ने मुझे भारतीय संस्कारों से बाँधकर रखा है। तुम्हें यदि तुम्हारी गलतियों का एहसास हो जाए, तो तुम आज भी मेरी पत्नी ही हो।" शोभा ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 23
वरुण को नताशा से बात करता देख शोभा बीच में आई और कहा, "मेरी बेटी का जीवन बर्बाद करके मन नहीं भरा जो अभी भी झूठ पर झूठ कहता चला जा रहा है।" वरुण ने हाथ जोड़ते हुए कहा, "मम्मी जी, नताशा अभी भी मेरी पत्नी है। कृपया आप हम पति-पत्नी के बीच में न आएं तो ही अच्छा है।" वरुण का गुस्सा देखकर शोभा ने अपने कदम पीछे हटा लिए। इसके बाद वरुण ने नताशा की तरफ देखते हुए कहा, "नताशा, मैं नहीं चाहता कि हमारे बीच किसी भी तरह की कोई गलतफहमी रह जाए। मैं तुमसे सच्चे ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 24
माही और वरुण एक-दूसरे का हाथ पकड़कर मुस्कुराते हुए वहाँ से बाहर निकल गए, लेकिन नताशा का पूरा परिवार में था। यह क्या हो गया...? किसी का दिमाग़ काम नहीं कर रहा था। सभी डरे हुए थे, कहीं पुलिस केस न हो जाए, यह चिंता उन्हें सता रही थी। नताशा ने कमरे में जाकर दरवाज़ा बंद कर लिया। वह अपने पलंग पर लेटी हुई भूतकाल के उन पलों को याद कर रही थी; जब उन्होंने मिलकर माही के साथ अत्याचार किए थे। उसे एक-एक बात याद आ रही थी और पछतावा भी हो रहा था। वह सोच रही थी ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 25
आज माही पहले की तरह उदास नहीं लग रही थी। आज तो उसके चेहरे पर जीत की ख़ुशी और अलग ही दिखाई दे रही थी। तभी माही ने अपने पिता मयंक के हाथों में मकान की फाइल रखते हुए कहा, "पापा, यह लीजिए आपकी अमानत।" मयंक ने फाइल की तरफ़ देखकर पूछा, "अरे, यह क्या है माही? तुम यह वापस लेकर क्यों आई हो?" माही ने पूरे विश्वास के साथ कहा, "पापा, मैं कभी भी ग़लत का साथ नहीं दूं, यह तो आपने और मम्मी ने ही सिखाया है ना? जिसके साथ वरुण जैसा प्यारा भाई हो, उसे कभी ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 26
तब वरुण और माही ने मिलकर उन्हें उनकी पूरी योजना विस्तार से बताई भी और समझाई भी। यह सब सभी लोग सन्न रह गए। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि इतना कुछ घट गया, पर माही और वरुण ने उन्हें इस बात की हवा तक नहीं लगने दी। रौशनी ने सब कुछ सुनने के बाद एक गहरी सांस लेते हुए कहा, "बाप रे, हमारी माही तो बहुत ही गलत परिवार में चली गई थी। अच्छा हुआ, वरुण, तुमने अपने परिवार को इस मुसीबत से बाहर निकाल दिया। लेकिन नताशा, वह कहाँ है? वह क्यों नहीं आई?" माही ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 27
नताशा की याद में वरुण रात भर ठीक से सो नहीं पाया। उसकी पूरी रात बेचैनी में कटी। अपनी बेचैनी के साथ जब वह बालकनी में आया तो क्या देखता है, नताशा भारी कदमों से वापस जाती हुई उसे दिखाई दे रही थी। पीछे से नताशा को आवाज़ देने के बदले वरुण दौड़कर सीढ़ियों से उतरता हुआ बाहर आया। वह दौड़ता हुआ नताशा के सामने जाकर खड़ा हो गया। उसे भागता देखकर माही, रौशनी, वंदना सभी उसके पीछे भागे। लेकिन नताशा को देखकर सब वहीं रुक गए। मयंक ने कहा, "करने दो उन्हें बातें, हमें इस समय अंदर चले ...Read More
गुनाहों की सजा - भाग 28
नताशा का प्रश्न सुनने के पहले ही वरुण ने कहा, "जानता हूँ नताशा। मैं कौन हूँ ...? माही से क्या रिश्ता है ...? यही जानना है ना तुम्हें? तो सुनो, मम्मी मेरी माँ नहीं हैं। वह मेरी सगी मासी हैं, लेकिन वह मुझे माँ से भी ज़्यादा बढ़कर प्यार करती हैं और मैं भी उन्हें उतना ही प्यार करता हूँ।" नताशा ने पूछा, "फिर पापा?" "नताशा, पापा और मेरी माँ, वे दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे, सच्चा प्यार। उनकी शादी भी होने वाली थी। इसी बीच पापा को उनकी कंपनी ने अमेरिका भेज दिया। पापा को ...Read More