अज्ञात अज्ञानी (Agyat Agyani) एक आधुनिक भारतीय आध्यात्मिक लेखक, चिंतक और शोधकर्ता हैं, जिनकी रचनाएँ आत्मा, चेतना, अनुभव और जीवन के मौलिक सत्य पर केंद्रित हैं। वे धर्म, विज्ञान और चेतना के समन्वय से जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझने का प्रयास करते हैं और प्रत्यक्ष अनुभव तथा मौन की साधना को जीवन की जड़ मानते हैं।
उनका मानना है कि मनुष्य जीवन को केवल समझने की कोशिश करता है, जबकि जीवन को जीना और अनुभव करना ही सच्चा बोध है। उनके अनुसार, जीवन कोई सिद्धांत या तर्क नहीं — बल्कि स्वयं में मौलिक, अनिवार्य और स्वतःप्रकट है।
अज्ञात अज्ञानी कहते हैं कि धर्म ने ईश्वर की खोज की, विज्ञान ने पदार्थ की — पर जीवन को अनदेखा किया गया। मनुष्य यदि स्वयं को जाने बिना ईश्वर को पा भी ले, तब भी वह सच्चे अर्थों में अज्ञानी ही रहता है।
उनके विचारों में न्याय, धर्म और व्यवस्था तब तक अधूरी हैं जब तक मनुष्य अपने भीतर संतुलन और मौन को नहीं पाता। जो स्वयं को जान लेता है, वही सच्चा धार्मिक होता है — उसे किसी बाहरी व्यवस्था, आस्था या नियंत्रण की आवश्यकता नहीं रहती।
वे बताते हैं कि जीवन अनुभव से खुलता है; प्रश्न और उत्तर के बीच जो मौन है, वहीं से सच्चा जीवन जन्म लेता है। जब जीवन और भगवान अनुभव के रूप में एक हो जाते हैं — न कि केवल विचार या धारणा के रूप में — तब मनुष्य जागृत होता है।
अज्ञात अज्ञानी जीवन के अनुभव, संवेदना, बोध और आंतरिक यात्रा पर बल देते हैं। वे सफलता और उपलब्धि से आगे बढ़कर जीवन की गहराई में उतरने का आमंत्रण देते हैं।
उनकी प्रमुख कृति “अज्ञात गीता” जीवन, धर्म और मौन की खोज पर आधारित है — जहाँ शब्द नहीं, अनुभव बोलते हैं।
संक्षेप में, अज्ञात अज्ञानी एक ऐसे आध्यात्मिक दार्शनिक हैं जो धर्म और विज्ञान दोनों से परे जाकर मौन, अनुभव और चेतना की प्रत्यक्ष यात्रा का मार्ग दिखाते हैं — यह बताते हुए कि जीवन को समझना नहीं, जीना ही ज्ञान है।