मैं और मेरे अह्सास
श्राद्ध
पितृओ के आत्मा की तृप्ति के लिए श्राद्ध किया जाता हैं l
उनको हसते हुए विदा कर के आशिर्वाद लिया जाता हैं ll
जिनके हाथों से निवाला खाया था उनको भोग लगाकर l
भरे पूरे परिवार के संग श्रद्धा से अर्पण दिया जाता हैं ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह"सखी"