ये कहकशाँ, ये टिमटिमाते सितारे, और ये मश'अल-ए-महताब,
रात भर अपलक जागती आँखें और उनमे कुछ अधूरे से ख्वाब।
रंज-ओ-गम सब दफ़न कर लिए इस दिल के तहखाने में मैंने,
मीठी सी मुस्कुराहट है लबों पर, बेशक है ये चश्म-ए-पुर-आब।
- Kirti Kashyap "एक शायरा"✍️
मश'अल-ए-महताब = चाँद की चांदनी
रंज-ओ-गम = दुख और दर्द
चश्म-ए-पुर-आब = आँसू से भरी आँखें