जब मैं कहीं ना मिलूं
समझ लेना मैं शब्दों में खो गयी हूँ
अर्सों से पड़े वरक़ के धूलकणों को
क़रीने से अलमारी में सजाते हुए
वक्त के अतीत में दबे पाँव जाकर
रखें दराजों के किताबों से कुछ
यादें बटोर लायी हूँ..
मैं यहीं हूँ कहाँ जाऊंगी
शब्दों की दौलत छोड़ कर..
सुनो' मैं उन शब्दों से जन्मों
का नाता जोड़ आयी हूँ.
--डॉ अनामिका--
उर्दूअल्फ़ाज़ हिंदीशब्द हिंदीपंक्ति हिंदीकाविस्तार