मैं और मेरे अह्सास
झील सी आँखें
मनमोहक झील सी आँखें में डूबकर मदहोश हो गये हैं l
मोहब्बत का नशीला पैमाना पीने से बेहोश हो गये हैं ll
जहां नजर गई हुस्न की मल्लिका ए जाम छलक रहा l
भरी महफ़िल में ख़ुद की हस्ती से फरामोश हो गये हैं ll
"सखी"
दर्शिता बाबूभाई शाह