हम भारतीयों ने दुनिया को दिखा दिया कि कैसे बिना कुछ सीखे, ग्रेजुएशन की डिग्री ली जाती है।
यहाँ शिक्षा एक रेस है – कौन ज़्यादा किताबें रट सकता है, बिना समझे।
स्कूल से लेकर कॉलेज तक बस एक ही मंत्र है:
"रटो, लिखो, भूल जाओ।"
Skills? किस किताब में हैं वो?
कोई बच्चा अगर पूछ ले कि "ये हम क्यों पढ़ रहे हैं?" तो जवाब मिलता है:
"बस पढ़ लो, नंबर अच्छे आ जाएं।"
हमने सोचने की आदत खो दी है, सवाल पूछना गुनाह मान लिया गया है।
और इसका परिणाम क्या है ?
हमारे पास लाखों ग्रेजुएट्स हैं – जो सीवी में "Team Player", "Hardworking", "Quick Learner" लिखते हैं,
लेकिन असल में ना टीम चला सकते हैं, ना खुद से कुछ सीख सकते हैं।
जब इनसे
Job इंटरव्यू में पूछा जाता है: "What can you do?"
तब जवाब आता है: "मैंने B.Tech किया है।"
और कंपनी बोलती है : "Skill लाओ, Degree नहीं चाहिए!"
हमारे देश में Youth की भीड़ है, Talent की नहीं।
कड़वा है पर सच तो यही है कि
India produces more graduates than skilled professionals.
और यही वजह है कि डिग्री के बावजूद लोग बेरोज़गार हैं।
अब वक्त है सोचने का:
डिग्री से ज़्यादा ज़रूरी है Skill।
Google कर लेना, आजकल companies "degree optional" लिख रही हैं – और हम अब भी "topper" बनने की रेस में लगे हैं।
follow me if you like it