कि अब तेरी बाहो को उसके नाम कर दूँ ,
तु सिर्फ उसकी ही है ये सरेआम कर दूँ
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कह कर सही तुम्हे खुदको बदनाम कर दू,
आज़ाद कर दू दिलसे जज्बात तमाम कर दू,
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जो सजाए थे ख्वाब तुम संग मैने कि अब
वहा से मै खुद को गुमनाम कर दू
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कि अब खुदको इश्क़ के पिंजरे मे
रखके वफा का गुलाम कर दू ,
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हम तो थे रुह से चाहने वाले आशिक कि ,
अब किसी और के नाम तेरा जाम़ कर दूँ
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और तो जयादा कुछ नही मै तुम्हे दिल - ए - खास
से इंसान - ए - आम कर दूँ
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तेराआशिया बदल गया मे अपना इंतजाम कर दूँ
कि मंदिर से मदीरा तक का तुझे अंजाम कर दूँ