कुछ बातें लाज़मी हैं, कहा ठहरना है जान लो ।
कुछ मुस्कान जरूरी है, कहा मना ना हैे जान लो
कुछ कहेंगे, बहुत कुछ सुनेंगे बहुत जताएंगे भी
कहा चादर मेली छोड़ देनी है ये जान लो
कल था, कल भी होगा , रिश्ता हैं पत्थर नहीं
किस मोड़ पे गली बना लेना हे , जान लो
कब तलक कोई उंगली थामेगा आपकी यहां
छोड़ना जरूरी हैं उसे आखिर गले लगाने को
बातें और ज़माने तो हर पन्नो में बदलते रहेंगे
हर किताब के लिए आसमां बनाके रख लो
रिश्तों की दूरी और रिश्तों में दूरी , फर्क है
मांजी और साथी की परते संभालकर रखो