अपने कंधों पर जिम्मेदारियों का बोझ लिए
न थक रहा, न टूट रहा, न कपट, न कलेश
सब को मुस्कुराहट बांटता हुआ
अपने सपने, अपनी पहचान भूल
सब की सच्चाई अपनाता हुआ
जो न रूठा कभी, न छूटा कभी
न छल, न कपट बस वह है नेक
हार भी जिसकी ,जीत भी उसकी
खाली जिसकी खुद के लिए जेब
जी यही है परिवार का ज्येष्ठ
वहीं तो है #श्रेष्ठ
#श्रेष्ठ
#Matrubharti
#Arjuna Bunty