आज फुर्सत में पुरानी एल्बम जो पलटी,
अनायास ही बचपन की याद आ गई...!
खिलखिलातीं हंसी , आंखों में चमक ,
नादानियां की उमंग सी छा गई ...
ऐ बचपन ! तू फिर याद आ गई...!
सूरज चाचा गए तेल लेने ,
सर्दियों में भी बर्फ के गोले भा गई ...
ऐ बचपन ! तू फिर रुला गई ...!
फूलों को देखकर मुस्कुराना ,
तितलियां सा बाहें फैला कर गोल घूम जाना ,
फिर चक्कर खाकर गिर जाना ...
ऐ बचपन ! तू फिर रुला गई ... !
जाने कितनी स्मृतियां ,
आज फिर याद आ गई ...
जाने क्यों तू बीते दिनों की याद दिला गई ...
ऐ बचपन ! तू फिर रुला गई ...!!
स्वरचित : अर्चना सिंह ✍🏻