किसी एक शख्स का दुनियां हो जाना
ठीक वैसा है जैसा
नदी का तालाब हो जाना
बादल का बारिश हो जाना
पहाड़ का रेत हो जाना
वेदना का उत्सव हो जाना
संसार का सार्थक हो जाना
निशब्द का स्वर हो जाना
अँधेरे का दीप हो जाना
भटकन का दिशा हो जाना
तन्हाई का आश्रय हो जाना
मन की थकन का ठहराव हो जाना
अनकही दुआओँ का असर हो जाना
समर्पण का कहानी हो जाना
पीड़ा का प्रार्थना हो जाना
और
आत्मा का परमात्मा हो जाना
ArUu ✍️