मैं कभी ईश्वर पर सवाल नहीं करती
मुझे उनके अस्तित्व पर पूर्ण यकीन है।
क्योंकि जब मेरी आवाज़ दुनिया ने नहीं सुनी,
तो मेरी खामोशी भी उन्होंने ही समझी।
जब मैं अपने ही सवालों में उलझ गई,
तो उत्तर बनकर वही मेरे भीतर जागे।
जब सारी ताकत छूट गई,
तो उसी अदृश्य हाथ ने मेरी पीठ पर हिम्मत रख दी।
मैंने महसूस किया है—
ईश्वर मंदिरों में कम,
इंसान के टूटे दिल
साफ हृदय और सच्ची नीयत में ज़्यादा बसते हैं।
वो रोशनी बनकर नहीं आते,
कभी एक राह,
कभी एक इंसान,
कभी एक इशारे के रूप में मिल जाते हैं।
मैं कितनी भी दूर चली जाऊँ,
वो मुझे मेरी ही तरफ लौटना सिखा देते हैं।