"मेरी परेशानी"
ज़माने से अदावत, मेरी परेशानी,
मोहब्बत से बगावत, मेरी परेशानी।
सुकूँ की ना मुझको है कोई चाहत,
है आहत से राहत, मेरी परेशानी।
उजालों से टूटा है नाता कुछ ऐसे,
अंधेरों की सियासत, मेरी परेशानी।
हर एक लफ़्ज़ में रहती है तल्ख़ी कोई,
ख़ुद अपनी ही इबारत, मेरी परेशानी।
रुख़सार पे झलकती है सख़्ती कोई,
ये आँखों की नज़ाकत, मेरी परेशानी।
ये झूठी तबस्सुम, ये टूटी सी हिम्मत,
ये दिल की कराहत, मेरी परेशानी।
"कीर्ति" रखती तो है लोगों के तानों का जवाब,
मगर विरासत की शराफ़त, मेरी परेशानी।
Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️