"हम जुदा होते नहीं"
हम जुदा होते नहीं, गर तुम राहों में काँटे बोते नहीं,
शिद्दत-ए-दिल हो तो फिर, दरमियाँ फ़ासले होते नहीं।
दर्द-ए-दिल लफ़्ज़ों में ढल जाए, ये मुमकिन कहाँ,
ज़ख़्म सीने में चुभे बेशक, मगर हम रोते नहीं।
रात भर करवटों में ख़्वाब ढूँढा करते हैं,
पलकें तो झपकती हैं, फिर भी हम सोते नहीं।
ज़िन्दगी कितनी आसान हो जाती ऐ सनम,
गर ये ग़म अब तलक, हम दिल पे ढोते नहीं।
Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️