🦋... SuNo ┤_★__
ये ज़िम्मेदारी का कर्ज़ा है, अदा होता
नहीं है,
और अपनी ख्वाहिशों का हक़ कभी
माँगा नहीं है,
हर ज़रूरत घर की पूरी कर के लौटा
जब भी मैं,
देखा तो अपनी जेब में कुछ भी बचा
नहीं है,
वो जो इक तस्वीर थी, मेरे हसीन
अरमानों की,
टूट कर बिखरी पड़ी है, कोई परवाह
नहीं है,
सब की ख़ातिर जागते हैं हम मगर
सारी ही रात,
हम थके हैं कितने, ये तो कोई पूछता
नहीं है,
हमने हर चेहरे पे देखी है, हँसी
अपनों की,
अपने आँसू कब बहे इसका हिसाब
नहीं है,
ज़िन्दगी गुज़री है बस इस फ़र्ज़ की
तकमील में,
खुद से मिल पाने का हमको वक़्त
भी मिला नहीं है,
ग़म यही है, एक मुकम्मल शख़्स
बनने की लगन में,
हम कहाँ खो गए हैं, इसका पता
नहीं है...🔥
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♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
#LoVeAaShiQ_SinGh ☜
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