***अगर तुम इश्क हो***
तुम अगर हवा हो
मेरे शब्द रुई के फाहे हैं
छूकर बह जाओ
तुम अगर स्मृति हो
पेड़ की सूखी शाख से
टूटा कोई पत्ता
या मेरे आँगन में
ठहरी हुई छाया
रख दो मेरी चौखट पर
ये बनी हुई है सपनों की धुन से
और मैं बुना हूँ तुम्हारी प्रतीक्षा से
तुम अगर प्रेम हो
बरसात की कोई बूँद
या रात का चमकता आंसू
टपको
टपको
मेरी आत्मा पर
ये मिट्टी का बना हुआ है
और तुम्हें सोख लेने को आतुर है
आर्यमौलिक