🌸 वक़्त के साथ – Komal Mehta
वक़्त के साथ कितना कुछ बदल-सा जाता है,
जो शहर कल तक कुछ ख़ास नहीं हुआ करते थे,
आज वही शहर हमारी ज़िंदगी बन जाते हैं।
कहा कल तक कुछ लोग ज़िंदगी में ख़ास हुआ करते थे,
और आज बहुत आम से लगने लगे हैं।
कभी खुद को समझो तो समझ आता है,
जो कुछ भी ख़ास था, वो केवल हमारे विश्वास और मेहनत का था।
हम जो निवेश कर रहे थे, वो अनमोल था,
पर नसीब ज़रा सा बुरा निकला —
तो सारे निवेश लॉस में चले गए।
काश, कुछ रिश्तों की डोर सही वक़्त पर छोड़ दी होती,
तो शायद आज का वक़्त कुछ और होता।
पैसे के लॉस से तो हर शख़्स उभर ही जाता है,
पर रिश्तों में हार जाने से…
अंदर का कुछ हिस्सा हमेशा के लिए टूट जाता है। 💔
अंतरमन के घाव कोई देख नहीं पाता,
इन घावों को भरने में सालों लग जाते हैं। 🌙🌸 वक़्त के साथ – Komal Mehta
वक़्त के साथ कितना कुछ बदल-सा जाता है,
जो शहर कल तक कुछ ख़ास नहीं हुआ करते थे,
आज वही शहर हमारी ज़िंदगी बन जाते हैं।
कहा कल तक कुछ लोग ज़िंदगी में ख़ास हुआ करते थे,
और आज बहुत आम से लगने लगे हैं।
कभी खुद को समझो तो समझ आता है,
जो कुछ भी ख़ास था, वो केवल हमारे विश्वास और मेहनत का था।
हम जो निवेश कर रहे थे, वो अनमोल था,
पर नसीब ज़रा सा बुरा निकला —
तो सारे निवेश लॉस में चले गए।
काश, कुछ रिश्तों की डोर सही वक़्त पर छोड़ दी होती,
तो शायद आज का वक़्त कुछ और होता।
पैसे के लॉस से तो हर शख़्स उभर ही जाता है,
पर रिश्तों में हार जाने से…
अंदर का कुछ हिस्सा हमेशा के लिए टूट जाता है। 💔
अंतरमन के घाव कोई देख नहीं पाता,
इन घावों को भरने में सालों लग जाते हैं। 🌙