✨ कर्म ही भाग्य ✨
कर्म से ही खुलती राहें,
कर्म से ही जगते सपने।
जैसा बीज धरती पीती है,
वैसा ही फल पाओगे अपने।
सद्कर्म बने अमृत की धारा,
दुष्कर्म जलाएँ जैसे ज्वाला।
समय का तराज़ू सच्चा होता,
हर पल करता न्याय निराला।
न तारे लिखते तक़दीरें,
न हथेली की रेखाएँ भाग्य।
कर्म ही गढ़ता जीवन का पथ,
कर्म ही सुलझाए हर दुराग्य।
इसलिए कर्म में आस्था रखो,
परिणाम पर मत दो ध्यान।
कर्म ही है सृष्टि का शिल्पी,
कर्म ही जीवन की पहचान।