प्यार रो नाटक, दो दिन रो संग,
फेर बदल जावे, नवा रंग।
वासना री आग में दिल जळे,
रिश्ता काँच-सा थर-थर ढळे।
अमेरिका री गलियों में आम कहानी,
क्षण भर रो संग, फेर जुदाई निशानी।
दो पल री छांव, फेर अकेलापन,
सच्चो प्रेम गयो, रह ग्यो अपनापन।
पर सोचो उन नण्हा प्राण रो हाल,
जन्म स्यूं पहले ही टूटी डोरां री माल।
कद स्यूं पावै संस्कार री छाँव,
घर ही बनग्या बदलतो ठाँव।
वहाँ तो फादर्स डे नी रोशनी है,
मदर्स डे पर ममता री झलकणी है।
पर यहाँ का हाल बिचारो ज़रा,
गर्भ री खबर स्यूं टूटे डोरां रा धरा।
वासना पूरी, प्रेम तार-तार,
कलंकित कर दीदो पवित्र व्यवहार।
संस्कार कहाँ स्यूं आवैंगे भला,
जद खुद खो दिए रिश्तां रा धागा।
मत करो ए गंदा काम,
वासना खातर मत लो प्रेम रो नाम।
अरे नालायका! पवित्र बंधन मत तोड़ो,
इच्छा पूर्ति खातर इसने मत जोड़ो।
प्रेम तो दीपक री लौ है,
तन री भूख नाय, आत्मा रो सौ है।
ए बालक ने देवे संस्कार,
बुढ़ापे में बन जावे आधार।
संस्कारां ने मत चढ़ाओ आग,
मानवता ने मत दियो दाग।
प्रेम समझ नाय आवे, तो चुप रहो,
पर इसने बदनाम कर पीढ़ीं मत खो।
सच्चो प्रेम वो है जो मर्यादा सिखावै,
आत्मा री पवित्रता, धीरज बतावै।
जां वचन निभावणो ही सबसे मोटी बात,
ते री विरासत में छावै उजाळा दिन-रात।
कविता का अर्थ (सरल व्याख्या)
1. प्रेम का नाटक और वासना की आग
कविता की शुरुआत में यह बताया गया है कि आजकल प्रेम का रूप छोटा और दिखावटी हो गया है।
लोग कुछ दिनों या महीनों का साथ निभाकर अलग हो जाते हैं।
असली प्रेम की जगह वासना (शारीरिक आकर्षण) ने ले ली है।
2. अमेरिका का उदाहरण
अमेरिका जैसे देशों में यह बहुत आम है कि रिश्ते जल्दी बनते और जल्दी टूट जाते हैं।
वहाँ प्रेम और वासना का फर्क धुंधला हो गया है।
लेकिन जब ऐसा होता है, तो बच्चे सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं।
3. बच्चों पर असर
अगर माता-पिता का रिश्ता स्थायी नहीं है, तो बच्चों को संस्कार और सुरक्षा नहीं मिल पाती।
कविता यह सवाल उठाती है कि जो बच्चा गर्भ में है या जन्म ले चुका है, उसे अच्छे संस्कार कहाँ से मिलेंगे, जब घर ही बदलता रहे।
4. अमेरिका और भारत की तुलना
अमेरिका में बच्चे को फादर्स डे या मदर्स डे जैसे विशेष अवसरों पर कुछ संस्कार या अपनापन मिल जाता है।
लेकिन भारत में अगर प्रेम वासना पर टिकेगा और गर्भ का समाचार सुनते ही रिश्ता टूट जाएगा, तो बच्चा बिल्कुल अधर में रह जाएगा।
5. कठोर संदेश
कविता में चेतावनी दी गई है कि अगर केवल वासना चाहिए, तो प्रेम जैसे पवित्र रिश्ते का नाम मत लो।
प्रेम का सहारा लेकर वासना की पूर्ति करना, प्रेम का अपमान है।
प्रेम तो आत्मा का बंधन है, यह केवल तन की भूख नहीं है।
6. संस्कार का महत्व
सच्चा प्रेम ही बच्चों को संस्कार देता है, परिवार को मजबूत बनाता है और जीवनभर साथ निभाता है।
अगर प्रेम की जगह वासना हावी हो गई, तो आने वाली पीढ़ी संस्कारविहीन हो जाएगी और समाज में अंधेरा फैल जाएगा।
7. निष्कर्ष
कविता के अंत में कहा गया है कि असली प्रेम वही है जो धैर्य, मर्यादा और पवित्रता सिखाए।
सच्चा प्रेम पीढ़ियों तक उजियारा फैलाता है, जबकि झूठा प्रेम और वासना समाज को खोखला बना देती है।