जमीन कभी आसमान नहीं होती,
आसमान कभी जमीन नहीं होता।
जमीन पर कोई उड़ नहीं सकता,
आसमान में कोई दौड़ नहीं सकता।
सबकी अलग-अलग खूबियाँ हैं,
लेकिन जमीन से आसमान तक पहुँचा जा सकता है।
वैसे ही एक कमजोर और बेहतरीन बच्चा
कभी समान नहीं हो सकते।
सबकी अलग डायरी और कलम होती है,
जो अपने तरीके से वाक्य लिखती हैं।
कुछ कमजोर से बेहतरीन हो जाते हैं,
और कुछ बेहतरीन से कमजोर...
जो बेहतरीन से कमजोर होते हैं,
उन्हें बस समय बर्बाद करना काफ़ी है।
लेकिन कमजोर से बेहतरीन बनना,
रेगिस्तान में रेत गिनने जैसा है।
कमजोर बच्चों को रोज़ अपने आप से लड़ना पड़ता है,
खुद को बेहतरीन बनाने के लिए
किताब और कलम को प्रियतमा बनाना पड़ता है।
रोज़-रोज़ उनके साथ डेट पर जाना पड़ता है।
जीवन में कुछ बड़ा करने के चक्कर में,
अपने आप को खोना नहीं चाहिए।
डेट ऐसी होनी चाहिए जो,
साथ में मज़ा भी दे।
कमजोर से बेहतरीन बनने का रास्ता बहुत कठिन है,
इस रास्ते में मंज़िल मिलेगी या नहीं, पता नहीं।
लेकिन उससे भी बड़ा कुछ मिल जाता है,
जो आत्मविश्वास को शक्तिशाली बना देता है।
हमें मंज़िल को पाने की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए,
बल्कि मंज़िल पाने की कठिनाइयों को समझना चाहिए।
.... संघर्ष कि उड़ान ....
( M Barsha )