उसकी आँखों का नशा होने लगा है,
इश्क़ में जीने का मज़ा होने लगा है।
चाँदनी रातें, ये महकती हुई हवा,
मौसम कुछ ज़्यादा ही हसीं होने लगा है।
पहले तो खुद में ही गुम रहते थे हम,
अब किसी और पे दिल फ़िदा होने लगा है।
उसकी हर बात, हर एक नाज़-ओ-अदा,
मेरे हर दर्द की दवा होने लगा है।
क्या कहें 'राजेश' आलम इस दिल का,
वो अजनबी अब मेरा खुदा होने लगा है।