मैं लोगों को माफ कर देती हु पर वो चीजे में खुद भूल नहीं पाती । वो वक्त , वो दर्द , वो लोगो के चेहरे मुझे याद रह जाते है और आते जाते किसी भी पल मेरे दिमाग की नसों से खेल करते है। "इमोशनल सिकनेस " ऐसा रोग है जो दिखता नहीं है ना ही इसका असर किसी की नजर में आता है ये वो रोग है जिसका इलाज कब करना जरूरी है वो रोगी खुद ही जान नहीं पाता। काम की भागदौड़ में खुद में खोए इंसानों के बीच ये रोग तेजी से फैल रहा है। और कोई जान ही नहीं पा रहा के ये कितनी जानलेवा महामारी है। इमोशनल सिकनेस धीरे धीरे असर करती है दिखने में काम करने में सब नॉर्मल ही रहेगा पर असर आपको आंतरिक शरीर पर पड़ता रहेगा । चीजें भूल जाना , नॉर्मल कैलकुलेशन न कर पाना , कुछ देखना और उसे रिपीट करने में ही गलती होना , बीपी अचानक high low hona, liver heavy feel hona , brain me जकड़ सी मेहसूस होना ये सब इसके असर है जो दिखाई नहीं देते और आसानी ठीक नहीं होते । कई बार तो इसका ठीक हो पाना संभव ही नहीं होता । बॉडी चल पाने में और पूरी तरह स्वस्थ और सुखी महसूस होने में बहुत अंतर होता है । इससे जो गुजर रहा है वहीं इसके प्रभाव समझ सकता है । इसलिए खुद पर और अपनों पर ध्यान दे। किसी को मानसिक या भावनात्मक हानि न पहुंचाएं । और न ही अपना मानसिक सुख किसी के कंट्रोल में होने दे । क्योंकि बाकी सब तो पैसों ओर दवाइयों से ठीक हो सकता है पर ये चीज आपके आपे से बाहर है । "स्वस्थ रहे ,स्वस्थ रखे"😊❤️