और मैं क्या करूँ तुझे यक़ीन हो जाए,
ख़ुद को खो दूँ मैं, कि तेरा नसीब हो जाए।
चाँदनी रातों में तेरा नाम लिख दिया,
क्या पता ये रोशनी तेरा नूर हो जाए।
मैं हवाओं से तेरा पता पूछता रहा,
कहीं मेरी सदा तेरा हमराही हो जाए।
तू जो कह दे तो मैं खुद को मिटा दूँ,
तेरी एक हाँ से मेरा तक़दीर हो जाए।
तेरे हर इक सवाल का जवाब हूैं राजेश,
मेरा हर इक लफ्ज़ तेरा तहरीर हो जाए।