छत्तीसगढ़ कहो,
मैं धान का कटोरा बताऊ,
अपने रीति रिवाजों से घिरा,
भोलेपन और सरलता की जगह बताऊ,
किसानो की मेहनत बताऊ,
संघर्ष बताऊँ,
पूछो क्या खास है उनमें,
बोरे-बासी की ताकत बताऊं,
महानदी की ममता बताऊं ,
अरपा , इंद्रावती का प्यार बताऊ,
छत्तीसगढ़ की जान कहूँ, या,
इन्हें मैं विशेष चमत्कार बताऊँ,
मैनपाट की सुषमा जानो तुम,
मै एक छोटे तिब्बत का नाम बताऊ,
सोना, हीरा, लोहा हो या बॉक्साइट,
मै कोयले की चमक का अंदाज़ बताऊ,
बैलाडिला, हसदेव, तमोर, कांगेर,
ऐसी पहाड़ियों के नाम बताऊ,
अमूल्य औसधी समेटे,
अमृत उद्गम का स्थान बताऊ,
शहीद वीर नारायण की शान बताऊ,
स्वामी विवेकानंद का ध्यान बताऊ,
गुरुघासी दास की सादगी,
गिरोउधपुरी का जैतखम दिखाऊ,
पंडवानी है लोकगीत को,
तिजन बाई के सुर को पुलकित मनोहर बताऊ,
ददरिया , भोजली के गीतों को,
छत्तीसगढ़ की जीवित धरोहर बताऊ
सुआ नाच हो या कर्मा नाच,
हरेली को मैं खास बताऊ,
प्रेम और परंपरा को बटोरे,
इसे मै अतुलित आभास बताऊ,
घर-घर जाकर चावल मांगना,
मै एक ऐसा त्योहार बताऊ,
मै इसे छेरछेरा कहुं,
या लोगों की खुशी का एहसास बताऊ,