रक्त से दुष्टों ने मातृभूमि रंग डाली थी
बहन-बेटियों पर कुदृष्टि डाली थी
बहुत सह लिया अत्याचार
शत्रु पर अब वार करो...
आ रहा है वीर छावा
मुगलों इंतजार करो
अंधकार में उदय हुआ एक सूरज
वीर शिवाजी का वह कुलदीपक
उसकी आँखें धधकती ज्वाला
हिन्दूधर्म का वह रखवाला
नहीं झुकेगा सर छावा का
औरँगजेब चाहें जितना प्रहार करो
सिंह बनकर जिसने शत्रुओं का संहार किया
शठ के साथ सदैव शठता सा व्यवहार किया
छल से सियारों ने सिंह को कैद किया
दहाड़ से जिसने मुगलों का दिल भेद दिया।
जय भवानी बोल सनातन के लिए वह लड़ गया
ऐसे संभाजी पर हिंदुओं तुम अभिमान करो...।