मैं और मेरे अह्सास
काश कुछ करिश्मा हो जाये बस दीदार ए यार हो जाये l
निगाहें चार होते ही एक दूसरे की निगाहों में खो जाये ll
खामोशी से बेशुमार बातें करते हुए रात यूहीं गुज़रे और l
चाँदनी शीतल रात में बाहों में बाहें डालकर सो जाये ll
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह