जब-जब अंधकार घना हुआ, जब-जब सत्य दबाया गया,
तब-तब संतों ने आकर के, मानव धर्म जगाया था।
ऐसे ही एक संत महान, जन्मे थे काशी धाम,
जिनकी वाणी में बसा, सच्चा प्रेम, सच्चा राम।
जात-पात के बंधन तोड़े, हर मानव को एक कहा,
भक्ति में जो लीन हुआ, वही हुआ रैदास सहा।
"मन चंगा तो कठौती में गंगा" – जीवन मंत्र सुनाया था,
सच्ची साधना क्या होती है, यह खुद करके दिखाया था।
राजमहल भी छोटा लगता, जब भावों की गूँज उठी,
हर निर्धन, हर पीड़ित के मन में, भक्ति की जोत जली।
कर्मयोग का पाठ पढ़ाया, मानवता का गीत सुनाया,
हर हृदय में प्रेम जगाकर, समाज को नव रूप दिलाया।
तेरी वाणी, तेरे वचन, आज भी प्रेरणा देते हैं,
रविदास तेरी भक्ति में, युग-युग तक जन जीते हैं। - ©️ जतिन त्यागी