कई सदियों बाद खुला है यह ताबूत,
दिल में फिर जागा मोहब्बत का जुनून।
गरमा गरम खून की तलब नहीं,
अब बस चाहता हूं तेरे लबों का सुकून।
तूने जो जगाया है मुझे, शुक्रिया तेरा,
अब तुझमें ही बसा है मेरा हर सवेरा।
तेरा ख्याल, तेरी खुशबू, तेरी हर बात,
अब मेरी धड़कनों में लिखी है तेरी ही दास्तान।