गणतंत्र 2025:
तन भी तेरा,मन भी तेरा
तेरे उपवन,बाग,बगीचे हैं,
हिमगिरि तेरा,जलधर तेरा
सागर से महासागर तेरा।
भारत से महाभारत तेरा
अन्न और आकाश है तेरा,
नदियों के नयन भी तेरे
गिरिवर पर चढ़ना है तेरा,
सागर से मिलना भी तेरा
इस विराट का निकट है तेरा,
जय-पराजय, समभाव भी तेरा
गण-गण का गणतंत्र है तेरा।
*** महेश रौतेला