“मेरा मुझ में कुछ नहीं,
जो कुछ है सो तेरा।
तेरा तुझकौं सौंपता,
क्या लागै है मेरा॥”
मेरे पास अपना कुछ भी नहीं है। मेरा यश, मेरी धन-संपत्ति, मेरी शारीरिक-मानसिक शक्ति, सब कुछ तुम्हारी ही है।
जब मेरा कुछ भी नहीं है तो उसके प्रति ममता कैसी? तेरी दी हुई वस्तुओं को तुम्हें समर्पित करते हुए मेरी क्या हानि है?
इसमें मेरा अपना लगता ही क्या है?
🙏🏻
- Umakant