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Umakant

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@mehtaumakantoutlook.com109738


Every cause
Have
Some reason
🙏🏻
- Umakant

સર્વ મંગલ માંગલ્યે શિવે
સર્વાર્થ સાધિકે શરણ્યે ત્ર્યંબકે ગૌરી નારાયણી નમો સ્તુતે
🙏🏻
- Umakant

ઓળખો તો ઔષધ.
કાનમાં દુ:ખાવો:-

તલના તેલમાં હિંગ નાંખી ઉકાળીને ઠંડુ કરી
દુ:ખતા કાનમાં એક બે ટીપાં નાંખવાથી કાનનો
દુ:ખાવો મટે છે.
🧘
- Umakant

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ગુજરાતની રંગભૂમિ

- Umakant

ઓળખો તો ઔષધ.
કોલેરા (કોગળીયું):-

કાંદાંના રસમાં ચપટી હિંગ મેળવીને દર અર્ધા અર્ધા
કલાકે લેવાથી કોલેરા (કોગળીયું) મટે છે.
🧘
- Umakant

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“यारों की मोहब्बत का यक़ीं कर लिया मैं ने
फूलों में छुपाया हुआ ख़ंजर नहीं देखा”
🥵

- Umakant

मेरे तो गिरिधर गोपाल
मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई।
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।
तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई॥।
छाँड़ि दी कुल की कानि कहा करिहै कोई।
संतन ढिंग बैठि-बैठि लोक लाज खोई॥
चुनरी के किये टूक ओढ़ लीन्ही लोई।
मोती मूँगे उतार बनमाला पोई॥
अँसुवन जल सींचि सींचि प्रेम बेलि बोई।
अब तो बेल फैल गई आणँद फल होई॥
दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से बिलोई।
माखन जब काढ़ि लियो छाछा पिये कोई॥
भगत देख राजी हुई जगत देखि रोई।
दासी "मीरा" लाल गिरिधर तारो अब मोही॥
- मीराबाई
🙏🏻
- Umakant

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“मेरे तो गिरिधर गोपाल
मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरो न कोई।
जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।
तात मात भ्रात बंधु आपनो न कोई॥।
छाँड़ि दी कुल की कानि कहा करिहै कोई।
संतन ढिंग बैठि-बैठि लोक लाज खोई॥
चुनरी के किये टूक ओढ़ लीन्ही लोई।
मोती मूँगे उतार बनमाला पोई॥
अँसुवन जल सींचि सींचि प्रेम बेलि बोई।
अब तो बेल फैल गई आणँद फल होई॥
दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से बिलोई।
माखन जब काढ़ि लियो छाछा पिये कोई॥
भगत देख राजी हुई जगत देखि रोई।
दासी "मीरा" लाल गिरिधर तारो अब मोही॥
- मीराबाई”
🙏🏻

- Umakant

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3


“चाय पी जाती है
धीरे-धीरे
घूँट-घूँट ,
जीवन की तरह –
पल-पल
हर दिन
भरपूर !
अंत में
थोड़ी रह जाती है
कप के तले में ,
जीवन में भी
रह ही जाता है
कुछ,
भूल जाने लायक !”
- नूपुर अशोक
🙏🏻

- Umakant

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“माँ माँ माँ
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ,
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ,
हम ढूँढ़ते रह गये मंदिर में,
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ,
हम ढूँढ़ते रह गये मंदिर में,
हम मूढ़मति हम अनजाने,
हम मूढ़मति हम अनजाने,
माँ साथ तुम्हारा क्या जाने,
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ,
हम ढूँढ़ते रह गये मंदिर में...
🙏🏻
- Umakant

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