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करम की गति न्यारी न्यारी, संतो। करम की गति न्यारी न्यारी, संतो। बड़े बड़े नयन दिए मिरगन को, बन बन फिरत उधारी॥ उज्वल वरन दीन्ही बगलन को, कोयल लार दीन्ही कारी॥ औरन दीपन जल निर्मल किन्ही, समुंदर कर दीन्ही खारी॥ मूर्ख को तुम राज दीयत हो, पंडित फिरत भिखारी॥ मीरा के प्रभु गिरिधर नागुण राजा जी को कौन बिचारी॥ 🙏🏻 - Umakant
ઓળખો તો ઔષધ. અન્ન વિકાર (અજીર્ણ) ની ઉલ્ટી:- લીંબુંને કાપી તેના બે ફડિયા પર ખાંડ ભભરાવીને ચૂસવાથી અન્ન વિકાર (અજીર્ણ)ની ઉલ્ટી મટે છે. 🧘 - Umakant - Umakant
ઓળખો તો ઔષધ. અન્ન વિકાર (અજીર્ણ) ની ઉલ્ટી:- લીંબુંને કાપી તેના બે ફડિયા પર ખાંડ ભભરાવીને ચૂસવાથી અન્ન વિકાર (અજીર્ણ)ની ઉલ્ટી મટે છે. 🧘 - Umakant
चलो इक बार फिर से अज़नबी बन जाएँ हम दोनों न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखो दिलनवाज़ी की न तुम मेरी तरफ देखो गलत अंदाज़ नज़रों से न मेरे दिल की धड़कन लडखडाये मेरी बातों से न ज़ाहिर हो हमारी कशमकश का राज़ नज़रों से तुम्हे भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से मुझे भी लोग कहते हैं की ये जलवे पराये हैं मेरे हमराह भी रुसवाइयां हैं मेरे माजी की तुम्हारे साथ में गुजारी हुई रातों के साये हैं तआरुफ़ रोग बन जाए तो उसको भूलना बेहतर तआलुक बोझ बन जाए तो उसको तोड़ना अच्छा वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन उसे इक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा चलो इक बार फिर से अज़नबी बन जाएँ हम दोनों 💕 - Umakant
ખુશખુશાલ વ્યક્તિત્વ ખુશખુશાલ વ્યક્તિત્વ મન બહલાવે છે. સુગંધિ છેક અંદર સુધી પહોંચે છે સામે વાળી વ્યક્તિના ઉદાસ મન ઉપર તેનો પ્રભાવ પડતા એ પણ આનંદિત થઇ ઉઠે છે. ❤️ 🙏 - Umakant
તાર, બીજું હું કાંઈ ન માગું, સુણજે આટલો અંતર તણો પોકાર, બીજું હું કાંઈ ન માગું... ꠶ટેક તુંબડું મારું પડ્યું નકામું, કોઈ જુએ નહિ એના સામું, બાંધીશ તારા અંતરનો ત્યાં તાર, પછી મારી ધૂન જગાવું... આપ꠶ ૧ એકતારો મારો ગુંજશે મીઠું, દેખશે વિશ્વ રહ્યું જે અદીઠું, ગીતની રેલશે એક અખંડિત ધાર, એમાં થઈ મસ્ત હું રાચું... આપ꠶ 🙏🏻 - Umakant
“चलो इक बार….” चलो इक बार फिर से अज़नबी बन जाएँ हम दोनों न मैं तुमसे कोई उम्मीद रखो दिलनवाज़ी की न तुम मेरी तरफ देखो गलत अंदाज़ नज़रों से न मेरे दिल की धड़कन लडखडाये मेरी बातों से न ज़ाहिर हो हमारी कशमकश का राज़ नज़रों से तुम्हे भी कोई उलझन रोकती है पेशकदमी से मुझे भी लोग कहते हैं की ये जलवे पराये हैं मेरे हमराह भी रुसवाइयां हैं मेरे माजी की तुम्हारे साथ में गुजारी हुई रातों के साये हैं तआरुफ़ रोग बन जाए तो उसको भूलना बेहतर तआलुक बोझ बन जाए तो उसको तोड़ना अच्छा वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन उसे इक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा चलो इक बार फिर से अज़नबी बन जाएँ हम दोनों” ….साहिर लुधियानवी 🥵 - Umakant
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