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है किरदार बहुत खूब निराला,
सबके रंग में ही रंग जाते।
बच्चे , बुजुर्ग या युवा हो,
सबके दिल में जगह बनाते।।
कब किस बात को कहना है,
ये बखूबी से, वही बताते।
हंसी,मजाक या हो कटाक्ष,
अपनी लेखनी से दर्शाते।।
न किसी से बैर,न ही घनिष्ठता,
सभी को समान भाव दिखाते।
एकल स्वभाव के कारण ही,
अपने आपको नहीं लजाते।।
समय जब भी मिलता है उन्हे,
अपनत्व भाव से चले आते।
अपनी मनमोहक शायरियों से,
इस समूह में चार चांद सजाते।।
किरन झा (मिश्री)
- kiranvinod Jha