मेरे यार नही,मेरे शोख मर गए है।
वो त्यौहार,वो वक़्त वो पुराने दौर मर गए है।
जिंदगी की उलझनो में क्या कम मर रहे थे !
अब मोबाइल से थोड़ा और मर गए है।
अकेले हँसी निकलती है,तस्वीरों के लिये।
वो साथ मिलकर जो होते थे,वो शोर मर गए है।
मेरे यार नही,मेरे शोख मर गए है।
वो त्यौहार,वो वक़्त वो पुराने दौर मर गए है।
विपुल प्रीत
- Vipul Borisa