जब तुम मुझ से मिलो
की जब तुम मुझसे मिलो
बिन मौसम की बरसात हो
सर्दियों की रात हो
हाथों में तुम्हारा हाथ हो
और दो कप चाय हो
मिल के गुफ्तगू करेंगे तमाम मुद्दों पर
कुछ तुम मुझे सिखाओ
कुछ मैं तुम्हे सिखाऊं
प्यार भरी हर बात हो
थोड़ी नोक झोंक के साथ हो
कुछ साहित्य की चर्चा हो
कुछ दार्शनिकों के विचार हों
कुछ नेताओं के जुमले हों
बीच बीच में थोड़ी मोहब्बत पर भी बात हो
कुछ ज़िंदगी के सबक हों
थोड़ी इश्क की बरसात हो
बस ज़िंदगी इतनी खूबसूरत हो
तुम, मैं और चार किताब हो।