Hindi Quote in Poem by Sudhir Srivastava

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कण कण में प्रभु
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प्रभु तुम कण कण में हो
धरती हो या आकाश
मनुष्य हो या जानवर
पेड़ पौधे फूल पत्तियों में
है तेरा निवास।
सजीव हो निर्जीव हो
छोटा हो या बडा़
कीड़े मकोड़े, कीट पतंगे
या पत्थर की मूर्ति हो
इस जहाँ के हर कण में
प्रभु तेरा वास।
धर्मी हो या अधर्मी
चोर हो या चांडाल
बिना भेदभाव का सबसे
रखते सम व्यवहार।
बस!महसूस करने की
जरूरत है,
हर पल ,हर कहीं
तुम्हारे होने के लिए
विश्वास की जरूरत है।
क्योंकि हर कण,हर पल,हर जगह
तुम होते हो,
कोई समझे,न समझें,
माने या न माने
कोई श्रद्धा के फूल चढ़ाए
या अविश्वास का आरोप लगाए,
फिर भी तुम
हर जगह पाये जाते हो,
हर पल,हर क्षण,हर कहीं
अपने होने का कर्तव्य
सतत,अबाध निभाये जाते हो।
प्रभु!तुम कण कण में हो
अहसास कराये जाते हो।

■सुधीर श्रीवास्तव

Hindi Poem by Sudhir Srivastava : 111958087
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@ Hathab beach.

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