गहरी रातों में,गहरा जीवन
भ्रष्टाचार के आगे नतमस्तक जीवन!
मेरे घर का रंग सफेद हो
यह चाह का एक अंग है,
यह दुष्कर कार्य किसे प्रिय है
परंपरा में यह नहीं है।
कौन कह रहा मानव जगा है
श्वेत हिम पर वह नहीं है,
जिसके हाथ में लगी कालिख है
उसका घर कहाँ साफ है!
** महेश रौतेला