जगत देख
रोया मन मेरा भी
बेचैन मन
---
तलाश जारी
बढा पीर मन में
आजादी नहीं
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इस कदर
हताशा के विस्मृत
क्षण करीब "
--डॉ अनामिका --
-- विधा---हाइकु --
दिनांक-२१/०८/२०१४

Hindi Poem by डॉ अनामिका : 111947151
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