बेताबियां कुछ इस तरह बढ़ा गया मेरी,
की जिंदगी बना गया मेरी,

हसरतें रोज कुछ कहती हैं,
कि वो हसरत जगा गया मेरी,
बेताबियां कुछ इस तरह बढ़ा गया मेरी,

बदल गई अब कुछ तो जिंदगी मेरी,
की वो जीने की उम्मीद जगा गया मेरी,
बेताबियां कुछ इस तरह बढ़ा गया मेरी,

सर्द रातें अब सर्द नहीं लगती,
की वो हौंसलो की लौ जला गया मेरी,
बेताबियां कुछ इस तरह बढ़ा गया मेरी,

दर्द तो अब दूर रहता है हम से,
की वो यादों का मरहम लगा गया मेरे,
बेताबियां कुछ इस तरह बढ़ा गया मेरी,,

अन्जू

Hindi Shayri by Anju Kumari : 111942069
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