स्याह रात मैं उनके खयालों की रोशनी है
किसी सितारे किसी माहताब की जरूरत नहीं

बुझाता हूँ प्यास उनकी निगाहों के जाम से
किसी दरिया किसी आब की जरुरत नहीं

मिलता रहता हूँ हर रोज़ उनसे इस कदर
किसी तार्रुफ किसी आदाब की जरुरत नहीं

पढता हूँ उनकी अदाओं उनके इशारों को
किसी तालीम किसी किताब की जरुरत नहीं

कोई इश्क़ को मेरे नाम ना देना राणाजी
किसी तमगे किसी ख़िताब की जरुरत नहीं

©ठाकुर प्रतापसिंह" राणाजी"
सनावद (मध्यप्रदेश )

Hindi Shayri by ठाकुर प्रतापसिंह राणाजी : 111937598
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