मैं उससे मिला ................
मैं उससे मिला, जो रोज़ाना खुद से मिलता हैं,
जानता है दुनिया को फिर भी खामोश रहता हैं,
सादा रहता है, सादगी में रहता है,
चकाचौंथ से दूर खुद में ही मगन रहता हैं ..................
भूल गया राह मैं, उससे जा कर टकरा गया,
भयभीत अवस्था में था मैं,
उसको देखते ही सुकून आ गया,
वो दिखाता रहा मुझे राह,
मैं उसकी शालीनता में ही गुम हो गया .......................
किया जब मैंनें उससे सवाल,
उसके साथ ठहर जाने का,
उसने कहा क्या बांध पाओगे खुद को उसके साथ,
जो सबको आज़ाद कर देता है,
मैं समझा नहीं उसका मतलब,
वो शायद गुत्थी में बात करने का शौक रखता हैं ...........................
स्वरचित
राशी शर्मा