मेरा और मैं .................................
कुछ छूट गया, कुछ छोड़ दिया,
उस वक्त ने मेरे भीतर के इंतान को तोड़ दिया,
सब्र को जैसे - तैसे संभाले रखा था मैंने,
सफलता ने एक दफा दस्तक क्या दी मेरी देहलीज़ पर,
उसने दुबारा आना ही छोड़ दिया ................................
खुद का नाम लिए हुए ज़माना गुज़र गया,
दूसरो ने कभी लिया नहीं और हमसे लिया ना गया,
वो देखों, कौन हो तुम, जब सबने ऐ कहना शुरू कर दिया,
हमें भी लगा अब इस शहर में मेरा नाम पुकारने वाला कोई ना बचा .............................
तकदीर से सवाल करूँ या खुद से करूँ पूछताछ,
ऐ आसामन दे भी दें मेरे अनकहे सवालो के जवाब,
अंधेरा मुझे अपनी ओर खींच रहा है,
रात का चाँद भी मुझे अपना सा लग रहा है,
सूरज पूछता है मुझसे कि कौन है तू,
मैंनें भी कह दिया तू है अकेला और तेरे अकेलेपन का साथी मैं हूँ............................
स्वरचित
राशी शर्मा ................................