प्रिय
आजाओ प्रिय
ओ मोरी प्रिय
यादें तेरी सताएँ
विरह की बह्नि
में मैं हूं जलता
अब आभी जाओ प्रिय
मन यादों की
सिंधु में जाके
डुबकी लगाए
निठुर न बन ओ प्रिय
ओ मेरे ख्वाबों
की शहज़ादी
तू क्यों न आती
प्रेम को तरसे हिय
दिनकर की तुम
पहले पहल की
पहली किरण हो
ओ मोरी साकी
कहाँ हो तुम
प्यासा कंठ पुकारे
जीवनराह में
मैं हूँ एकाकी
ओ मेरे साथी
उड़े हुए रे चैना
आजाओ प्रिय
ओ मोरी प्रिय
जीवन तेरे हवाले...
आई मैं आई
ओ दिलोजाना
अब न तोहे सताऊँ
जीवनराह में
मैं हूँ तेरी
तू है माही मोरा
हम दोनों मिलके
व्योम पे चलके
'उदय' के गीतों को गाएँ
गाओ रे गाओ
प्रेमियों गाओ
ये गीत मेरा तुम्हारा
होहो...हो.हो
होहो..हो.हो.हो
आ..आ...आ..आ.आ
Written by - 'उदय'
Date -20/01/2024,Sat