जब तक जान पहचान नही होती है, तब तक जानने का सफर अच्छा लगता है। लेकिन किसी के द्वारा किसी को नकारने का भाव कहे या, महत्वहीनता का प्रदर्शन हो । यह अपने आप में विलीन होने का समय होता है। हम चाहे जैसे हो, किंतु हम ही हमारे साथी है, ना किसी की जरूरत, अब ना किसी की परवाह, , खुद के साथ रहो खुद के लिए जियो, खुद का सोचो फिर चाहें कोई आपको, स्वार्थी ही क्यों ना बोले, आपकी ज़िंदगी हैं आपने हिसाब से जियो, क्योंकि जीवन के सफर की बस यही दास्तान है........!!💯