दुनिया के रंगमंच का
किरदार है हम सब
कठपुतली है वक़्त की
गौर से देखो अपना क्या है?
मानो तो सबकुछ है
न मानो तो कुछ भी नहीं...!
ये मेरा वो मेरा करते रहते
स्वार्थ के धागों में उलझे रहते
आख़िर ले जाना क्या हैं?
अपना क्या हैं?
जगत् की अविरत् कहानी में
पनाह मिली हो चाहे कैद हो
अंत में अपने हक़ में है
एक मुकम्मल आज़ादी..!
_✍️anupama