ओ आज भी ख्याल रखती है
मेरी पसंद और न पसंद का।
मगर अब प्यार नहीं करती
मैं मीठी और ओ हल्की मीठी
चाय पीना पसंद करती है
पर जब भी मिलती है चाय
हल्की मीठी ही बना कर लाती है
मगर अब प्यार नहीं करती
चेहरे की उदासी पढ़ लेती है
देखती है तो नजरें नहीं हटाती
मगर अब प्यार नहीं करती।
उसकी जुल्फें बहुत पसंद थी मुझे
आज भी ओ बाल नहीं कटवाती
मगर अब प्यार नहीं करती।
-रामानुज दरिया