Hindi Quote in Poem by Mukteshwar Prasad Singh

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भारत मां लाखों मील चली,
चन्दा मामा को राखी बांधी।
भाई से बहना का रिश्ता,
युगों बाद फिर दुहरायी।
भूल गये भाई क्यों मुझको,
सदा याद मैं करती हूं।
तेरा गुणगान सुबह शाम,
लोरी गाकर करती हूं।
बच्चे जब रोते हैं घर में,
उसे चांद दिखलाती हूं।
-"चंदा मामा दूर के,
पूए चकाए गुड़ के,
अपने खाये थाली में,
मुन्ना को दे प्याली में"
यही सुना चुप करती हूं।
भाई तेरा नाम सुनाकर,
फिर खाना खिलाती हूं।
अब तो दूर नहीं मुझसे,
चन्द्रयान-3 जो भेजी हूं,
तेरी खोज खबर लेने,
रोबर को संग लगायी हूं।
अब तो तेरे घर आना जाना,
भारत बहन का लगा रहेगा।
वर्षों का बाकि उपहार,
भाई तुमसे लेना होगा।
मेरे बच्चे बड़े उतावले,
लेने को उपहार बावले।
जब सावन पूनम की रात,
पूर्ण चन्द्र का होगा साथ।
हर घर राखी का त्योहार,
कच्चे धागे से बंधा प्यार।
चंदा तुमसे भी वही प्यार।
*मुक्तेश्वर मुकेश

Hindi Poem by Mukteshwar Prasad Singh : 111892677
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